जमशेदपुर ! पूरा जमशेदपुर जहाँ आने वाले आज़ादी दिवस के सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहा है वहीँ जमशेदपुर के साक्ची में १ इंसान हाथो में वेल्डिंग गन लिए रोज की तरह लोहे को जोड़ने के कामो में लगा हुआ होगा ,अपने काम की धून में मगन जी हम बात कर रहे है , पेशे से वेल्डर “मनोज गोस्वामी ” की पेट की आग और मज़बूरी ऐसी थी की बंगाल के वर्दमान में अपना घर छोड़ झारखण्ड आना पड़ा!
जब मनोज से ये जानने की कोशिश की कभी 15 अगस्त में छुट्टी नहीं मिलती क्या? तो मनोज ने कहा ये छुट्टी क्या होता है, अगर छुट्टी मनाए गे तो खाएंगे क्या??हँसते हुऐ अपने अंदाज़ में बंगला भाषा में कहा “आमरा मोज्दूर मौज थिके दूर अछि ” हम है
मजदूर मौज से रहते है दूर
आँखों में मज़बूरी और पेट की आग क्या होती ये आसानी से देखा जा सकता है
मनोज ने बताया की इतनी दूर तक सफ़र तय करना काफी मुस्किलो भरा रहा , बचपन में सर से पिता का साया उठ जाने के बाद बहुत कम उम्र में २ भाइयो २ बहनों और माता के भरण पोषण में दिक्कत आने लगी , तो गाँव में होने वाले सायकल पे नुक्कड़ मंडली में हास्य कलाकार की नौकरी करनी शुरू की , इससे घर की परेशानी थोड़ी बहुत दूर तो हुई पर घर चलाना मुस्किल हो रहा था,गाँव के दोस्तों जमशेदपुर में मजदूरी करते थे , मनोज को अपने साथ लेते आऐ फिर मनोज ने साक्ची में गैरेज मिस्त्री का काम शुरू किया , ९ सालो से ये काम बखुबी से कर रहा है , लोग हँसते है मुझे देख कर पर मुझ पर इन सब का कोई आसर नहीं होता!
इस काम में उसे कोई परेशानी और शर्म महसूस नहीं होती , बस जाते जाते मनोज सवाल छोड़ गया पेट की आग १ इंसान से क्या क्या करवा सकती है वक़्त और हालात के आगे झुका इंसान ही बता सकता है !
15 अगस्त आपके हमारे लिए नेशनल हॉलिडे की तरह हो पर सच में मनोज गोस्वामी जैसे लोगो के लिए तो हर दिन किसी वर्किंग डे जैसा है जब 2 वक़्त के निवाले के लिए ये अपनी पूरी मेहनत जोंख रहे है मेरा नमन है ऐसे देश के सच्चे लोगो को जिनका धर्म और मजहब सिर्फ उनका काम है
रिपोर्ट – अम्बाती रोहित